आखिर क्यों खास है लोहड़ी: लोहड़ी पर्व से जुड़े रोचक तथ्य | Lohri Interesting Facst

आखिर क्यों खास है लोहड़ी: लोहड़ी पर्व से जुड़े रोचक तथ्य | Lohri Interesting Facst

Lohri लोहड़ी हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध त्यौहार है। यह सम्पूर्ण भारत में हिंदु समाज में मनाया जाता है, लेकिन सबसे अधिक पर्यटन के लिए पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बंगाल और झारखंड में मनाया जाता है। यह संवत्सर के शुरुआत के समय मनाया जाता है जो कि करीब 14 जनवरी को होता है। यह धान के फसल के समय का त्यौहार होता है। लोहड़ी के दिन शाम को लकड़ी के ढेर को चमकीले रंग की वस्तुओं से सजाया जाता है। इसके बाद लोग आग में रेवड़ी, गजक या मूंगफली नामक पेय डालते हैं और ऐसा करने के बाद एक दूसरे को गले लगाकर खुशी मनाते हैं।

 

लोहड़ी का महत्व(Importance of Lohri)

इसके अलावा, लोहड़ी को फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है, जहां किसान भरपूर फसल के लिए भगवान को धन्यवाद देते हैं और आने वाले वर्ष में अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। लोहड़ी परिवारों और दोस्तों के एक साथ आने, आग की गर्मी का आनंद लेने और जश्न मनाने का समय है कड़ाके की ठंड के महीनों का अंत और एक नए मौसम की शुरुआत।

 

जानें, लोहड़ी से जुड़ी ये रोचक जानकारी (Lohri interesting facts, why and how we celebrate Lohri)

  1. हर साल एक ही दिन लोहड़ी मनाई जाती है। मकर संक्रांति की तरह इसके दिन में बदलाव नहीं होता है। हर साल 13 जनवरी को यानी पौष मास के अंतिम दिन लोहड़ी का पर्व होता है।

  2. इस पर्व की सबसे खास बात यह है कि इस दिन बच्चें लोग टोलियां बनाकर घर-घर जाते है, लोहड़ी के गीत गाते हैं और शाम के लिए लकड़ियां और मिठाईयां इकट्ठा करते हैं।

  3. लोहड़ी पर्व में अग्नि का विशेष महत्व होता है। इस दिन अग्नि के चारों ओर घूमते हुए नई फसल की आहूतियां दी जाती हैं और इस आहूति के जरिए ईश्वर को धन्यवाद दिया जाता है।

  4. शादी के बाद जिनकी पहली लोहड़ी होती है या जिनके घर संतान का जन्म होता है उनके लिए लोहड़ी का त्योहार बड़ा खास होता है।

  5. लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनते हैं, जिसमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होता है।

  6. लोहड़ी उत्सव संत कबीर की पत्नी लोई की याद में यह पर्व मनाया जाता है। यह भी मान्यता है कि सुंदरी एवं मुंदरी नाम की लड़कियों को राजा से बचाकर एक दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने किसी अच्छे लड़कों से उनकी शा‍दी करवा दी थी।

  7. वैसाखी की तरह लोहड़ी का सबंध भी पंजाब के गांव, फसल और मौसम से है। इस दिन से मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। इससे पहले रबी की फसल काटकर घर में रख ली जाती है। खेतों में सरसों के फूल लहराते दिखाई देते हैं।

  8. एक अन्य पौराणिक मान्यता अनुसार सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है। कथानुसार जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती हो गई थीं। उसी दिन की याद में यह पर्व मनाया जाता है।

  9. लोहड़ी के त्योहार में अग्नि देव की पूजा की जाती है। शाम के वक्त लकड़ियां इक्ट्ठा कर खुले स्थान पर आग जलायी जाती है। सर्दी के मौसम में अलाव की ताप सभी को राहत देती है।

  10. घर महिलाएं अपने छोटे बच्चों को गोद में लेकर लोहड़ी की आग तपाती हैं। माना जाता है कि इससे बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। और बुरी नजरों से रक्षा होती है।

  11. ईरान में भी नववर्ष का त्योहार इसी तरह मनाते हैं। आग जलाकर मेवे अर्पित किए जाते हैं। मसलन, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाई जाने वाली लोहड़ी और ईरान का चहार-शंबे सूरी बिल्कुल एक जैसे त्योहार हैं। इसे ईरानी पारसियों या प्राचीन ईरान का उत्सव मानते हैं।

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